एक बार की बात है, अकबर और बीरबल शिकार करने के लिए जंगल में गए थे। शिकार करते समय, अकबर का दायाँ हाथ का अंगूठा अचानक तलवार से कट जाता है। इस पर वह बहुत दुखी हो जाते हैं और अपने सिपाहियों से कहते हैं, “जाओ, किसी वैद्य को बुला लाओ।” फिर वह बीरबल को बुलाता है और कहता है, “देखो बीरबल, ये क्या हो गया, मेरी हालत तो देखो।”
इस पर बीरबल मुस्कुराते हुए कहता है, “महाराज, जो कुछ भी होता है, वह अच्छे के लिए ही होता है।” अकबर गुस्से में आ जाता है और बीरबल की बातों को नकारते हुए अपने सिपाहियों से कहता है, “वैद्य को बाद में बुलाना, पहले इस बीरबल को पकड़ कर उल्टा लटका दो और उसे कोड़े मारो। फिर सुबह इसे फांसी पर चढ़ा देना।” अकबर फिर अकेले शिकार पर निकल जाता है।
इस बीच, कुछ आदिवासी अकबर को पकड़ लेते हैं और उसे बलि चढ़ाने के लिए उल्टा लटका देते हैं। वे उसके चारों ओर डांस करने लगते हैं। अचानक एक आदिवासी की नजर अकबर के कटे हुए अंगूठे पर पड़ती है और वह बोलता है, “यह तो अशुद्ध है, हम इसकी बलि नहीं चढ़ा सकते।” इस पर आदिवासी उसे छोड़ देते हैं और अकबर को बचा लिया जाता है।
अकबर को यह देखकर बीरबल की याद आती है और वह सोचता है कि बीरबल को तो फांसी दे दी गई होगी। वह तेजी से दौड़ता हुआ लौटता है और देखता है कि बीरबल को फांसी दी जाने ही वाली थी। अकबर तुरंत बीरबल के पास जाता है, उसे सारी घटना बताता है और रोने लगता है। बीरबल फिर से मुस्कुराते हुए कहता है, “महाराज, जो कुछ भी होता है, वह अच्छे के लिए होता है।”
अकबर झुँझलाते हुए पूछता है, “लेकिन इसमें क्या अच्छा हुआ?” इस पर बीरबल जवाब देता है, “महाराज, अगर मैं आपके साथ शिकार पर गया होता, तो आदिवासी मुझे पकड़ लेते और मुझे भी बलि चढ़ा देते। परंतु आपकी यह चोट मेरे लिए एक आशीर्वाद साबित हुई, क्योंकि मेरी वजह से ही मुझे छोड़ दिया गया।”
इस घटना से अकबर को यह समझ में आ जाता है कि बीरबल हमेशा सच कहता है और जो कुछ भी होता है, वह किसी न किसी कारण से अच्छा होता है।
जो भी होता है, वह अच्छे के लिए होता है, और हमें परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए।
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