एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक बालक रहता था। वह बेहद नेक, ईमानदार और समझदार था। गाँव के लोग उसकी सच्चाई और अच्छे स्वभाव के कारण उसे बहुत मानते थे। रामू कभी झूठ नहीं बोलता था और न ही किसी गलत काम में शामिल होता था।
रामू का परिवार साधारण था, और गर्मी के कारण वह अक्सर अपने घर के बाहर दरवाजे पर सोता था। एक रात, जब सब सो रहे थे, तभी रामू की नींद कुछ आवाज़ों से खुल गई। उसने देखा कि कुछ लोग चुपचाप उसके बगल वाले घर में चोरी करके बाहर निकल रहे थे।
रामू ने ध्यान से देखा, तो वह चौंक गया। वे लोग कोई और नहीं बल्कि गाँव के ही कुछ लोग थे। जब उन्होंने देखा कि रामू ने उन्हें देख लिया है, तो वे घबरा गए। उन्होंने रामू को चुप रहने के लिए रिश्वत देने की कोशिश की और कहा,
“इस बात को किसी से मत कहना, हम तुम्हें इनाम देंगे।”
रामू ने तुरंत उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया। अगले दिन गाँव में पंचायत बुलाई गई। रामू ने निडर होकर सबके सामने पूरी सच्चाई बता दी — कि कौन लोग थे और उन्होंने क्या किया।
पंचायत ने चोरों को उनके अपराध के लिए कड़ी सजा सुनाई और रामू की ईमानदारी की भरपूर प्रशंसा की। गाँव वालों ने रामू को ईमानदारी और साहस के लिए सम्मानित किया और उसे पुरस्कार भी दिया।
रामू की सच्चाई ने न सिर्फ अन्य बच्चों को प्रेरित किया, बल्कि पूरे गाँव को यह सीख दी कि बुराई के सामने खड़ा होना कितना जरूरी है।
ईमानदारी एक महान गुण है। यह न केवल समाज में आपका सम्मान बढ़ाती है, बल्कि आत्मसम्मान और आंतरिक शांति भी प्रदान करती है।
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