एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था, जिसके पास ज़मीन तो बहुत थी, लेकिन वह बेहद आलसी था। खेती करने में उसकी कोई रुचि नहीं थी, और यही वजह थी कि वह अपने परिवार का पेट ठीक से नहीं पाल पाता था। कई बार तो हालत इतनी खराब हो जाती थी कि उसे और उसके बच्चों को भूखे पेट ही सोना पड़ता था। उसके पास साधन थे, पर मेहनत करने की इच्छा नहीं थी।
एक दिन, जब किसान अपने घर के बाहर मायूस बैठा था, तभी वहाँ से एक बुज़ुर्ग साधु गुज़रे। उन्होंने किसान का उदास चेहरा देखा और पूछा, “तुम इतने परेशान क्यों हो?” किसान ने अपनी सारी परेशानी और गरीबी की वजह बताई। साधु चुपचाप सुनते रहे और बिना कुछ कहे चले गए।
अगले दिन वही साधु दोबारा किसान के पास आए और बोले, “बहुत समय पहले इस गाँव में एक बड़ी चोरी हुई थी। चोरों ने डर के मारे सारा धन तुम्हारे खेत में छिपा दिया था और मुझे वादा लिया कि किसी को बताऊं नहीं। लेकिन अब समय आ गया है कि तुम्हें वह बात बताई जाए।” साधु ने कहा, “अगर तुम अमीर बनना चाहते हो तो अपने खेतों की खुदाई शुरू कर दो, हो सकता है धन मिल जाए।”
किसान को यह सुनकर बहुत लालच आ गया। उसने तुरंत खेत की जुताई शुरू कर दी। उसने उम्मीद की थी कि जमीन के अंदर से उसे कोई खजाना मिलेगा, लेकिन पूरे खेत को जोतने के बाद भी उसे कुछ नहीं मिला। वह बेहद निराश हुआ। लेकिन साधु ने चुपचाप उसी रात खेत में बीज डाल दिए।
कुछ ही दिनों बाद अच्छी बारिश हुई और कुछ समय बाद खेतों में हरी-भरी फसल लहलहाने लगी। जब किसान ने यह देखा, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पहली बार उसे समझ आया कि असली खजाना मेहनत के बीज में ही छिपा होता है। मेहनत से जो फसल उगती है, वही जीवन को बदलने की असली चाबी है।
सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। मेहनत ही वह रास्ता है, जो आपको गरीबी से समृद्धि की ओर ले जाता है।
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