एक छोटे से गाँव में एक दूधवाला रहता था। उसकी आमदनी का एकमात्र साधन थी उसकी गाय, जो रोज़ भरपूर दूध देती थी। वह उसी दूध को निकालकर बाजार में बेचता और अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। गाय ही उसकी रोज़ी-रोटी का आधार थी।
एक दिन जब वह सुबह दूध बेचने के लिए बाजार गया, तभी उसकी गाय पास के तालाब में फिसलकर गिर गई। तालाब गहरा था, और गाय उसमें से बाहर नहीं निकल पाई। दुखद रूप से गाय की तालाब में ही मौत हो गई।
शाम को जब दूधवाला बाजार से लौटा और उसने देखा कि उसकी प्यारी गाय मर चुकी है, तो उसके होश उड़ गए। वह बहुत दुखी और परेशान हो गया। अब उसकी आय का कोई साधन नहीं बचा था। वह सारी रात चिंता में सो नहीं सका।
अगली सुबह वह तालाब के किनारे बैठा अपने बुरे हालात पर विचार कर रहा था। वह सोचने लगा, “अब क्या होगा? जीवन कैसे चलेगा?” तभी उसे एक प्रेरणादायक विचार आया — “रुकने से कुछ नहीं होगा। अगर एक रास्ता बंद हो गया है, तो नया रास्ता खोजो!”
उसने तालाब में तैरती मछलियों पर ध्यान दिया और सोचा क्यों न मछली पकड़कर बेची जाए। अगले ही दिन उसने मछलियाँ पकड़कर बाजार में बेचना शुरू किया। आश्चर्यजनक रूप से मछलियों से उसे दूध से कहीं ज़्यादा मुनाफ़ा मिलने लगा।
धीरे-धीरे उसने इस काम को और बढ़ाया। कुछ ही समय में वह गाँव का एक सफल और समृद्ध आदमी बन गया। लोग उसकी मेहनत और सूझबूझ की सराहना करने लगे।
अगर एक रास्ता बंद हो जाए, तो घबराने के बजाय नए अवसर तलाशें। संकट के समय धैर्य और सोच-समझ से काम लिया जाए, तो सफलता जरूर मिलती है।
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