एक बार की बात है, एक कौआ बहुत देर से आकाश में उड़ता चला आ रहा था। उसका शरीर थक चुका था और पेट भूख से बिलकुल खाली हो चुका था। अब वह बहुत कमजोर महसूस कर रहा था और उसे ऐसा लगने लगा कि अगर जल्दी कुछ खाने को नहीं मिला, तो वह गिर जाएगा। तभी उसकी नजर ज़मीन की ओर गई, जहाँ एक पेड़ के नीचे एक प्लास्टिक का पैकेट पड़ा हुआ था। उस पैकेट के अंदर से मांस की गंध आ रही थी। कौए के मुँह में पानी आ गया और वह तुरंत नीचे उतर आया।
उसने पैकेट के पास जाकर उसे चोंच से खोलने की कोशिश की, लेकिन पैकेट इतना मजबूत था कि खुल ही नहीं रहा था। भूख से बेहाल कौआ कभी उसे चोंच से खींचता, तो कभी उसे अपने पंजों से दबाकर तोड़ने की कोशिश करता, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। उसने पैकेट को ज़मीन पर कई बार पटका भी, लेकिन मांस अब भी अंदर ही फंसा रहा।
तभी वहां एक और कौआ आया, जो बहुत चालाक था। उसने उस भूखे कौए से कहा, “भाई, तुम यूं ही थक रहे हो। अगर तुम इस पैकेट को लेकर ऊपर उड़ो और इस पेड़ की ऊँची डाल से नीचे गिरा दो, तो पैकेट फट जाएगा और मांस बाहर निकल आएगा।” यह बात भूखे कौए को समझ में आ गई और उसने वैसा ही करने का निश्चय किया।
कौआ जैसे-तैसे उड़कर पेड़ की ऊँचाई तक गया और पैकेट को नीचे डाल से गिरा दिया। पैकेट ज़मीन पर गिरते ही फट गया और मांस का टुकड़ा बाहर आ गया। लेकिन जैसे ही मांस ज़मीन पर गिरा, वहीं खड़ा चालाक कौआ तुरंत उसे उठाकर उड़ गया। जब भूखा कौआ नीचे आया, तो उसे खाली प्लास्टिक का फटा हुआ पैकेट ही मिला।
उसे बहुत दुख हुआ। अब उसे समझ आ गया था कि वह धोखा खा गया है और चालाक कौए ने उसकी मजबूरी का फायदा उठाया।
अंजान व्यक्ति की सलाह पर आँख बंद करके भरोसा करना ठीक नहीं होता। हर बात को समझदारी से सोचकर ही कोई निर्णय लेना चाहिए।
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