एक घने जंगल में एक मेहनती चींटी और एक लापरवाह टिड्डा साथ रहते थे। दोनों की जीवनशैली एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थी। जहां चींटी दिन-रात मेहनत करती थी, गर्मियों के मौसम में धूप की परवाह किए बिना अनाज के दाने इकट्ठा करती थी, वहीं टिड्डा हर दिन गाना गाता, धूप सेंकता और आराम करता। उसे लगता था कि जीवन का असली आनंद केवल मौज-मस्ती में है और मेहनत करने की कोई जरूरत नहीं।
चींटी पूरे मन से सर्दियों की तैयारी कर रही थी, जबकि टिड्डा उसे देखकर मजाक उड़ाता और कहता, “इतनी मेहनत क्यों कर रही हो? चलो, थोड़ा गाना-बजाना और मस्ती करो!” लेकिन चींटी बिना किसी जवाब के अपने काम में लगी रहती थी।
कुछ हफ्तों बाद मौसम ने करवट ली और लगातार कई दिनों तक बारिश होती रही। जंगल में हर जगह पानी भर गया और खाने की चीजें मिलना मुश्किल हो गया। टिड्डा, जिसने कभी खाने का भंडारण नहीं किया था, अब भूख से तड़पने लगा। उसका शरीर कमजोर हो गया, और उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए।
भूख से परेशान होकर टिड्डा चींटी के घर गया और उससे थोड़े खाने की मदद मांगी। लेकिन चींटी ने साफ मना कर दिया। उसने कहा, “जब मैं मेहनत कर रही थी, तब तुम मजे में गा रहे थे। अब भूख लगी है तो जिम्मेदारी समझ में आ रही है?” टिड्डा शर्मिंदा हो गया और वापस लौट आया।
उस दिन से टिड्डे को समझ में आ गया कि केवल मस्ती करने से जीवन नहीं चलता। भविष्य की चिंता और समय पर की गई मेहनत ही मुश्किल समय में काम आती है। उसने ठान लिया कि अब वह भी मेहनत करेगा और कभी आलसी नहीं बनेगा।
मेहनत और दूरदर्शिता से ही जीवन सुरक्षित और सफल बनता है। समय रहते तैयारी न करने का पछतावा बाद में सिर्फ दुख देता है।
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