एक बार की बात है, एक चूहा कई दिनों की मेहनत से एक सुंदर और सुरक्षित घर बनाता है। वह घर छोटा जरूर था, लेकिन उसमें रहने की हर सुविधा थी। कुछ समय बाद किसी जरूरी काम से चूहा अपने दोस्त के घर चला गया और सोच लिया कि कुछ दिनों बाद लौटकर फिर अपने घर में रहेगा।
जब चूहा गया हुआ था, तब जंगल में रहने वाला एक मेंढक उस घर को खाली पाकर वहाँ आकर रहने लगा। उसे घर आरामदायक लगा, और उसने वहीं अपना ठिकाना बना लिया। धीरे-धीरे महीनों बीत गए और मेंढक को उस घर से लगाव हो गया।
कई महीने बाद चूहा वापस लौटा तो उसने देखा कि उसके घर में अब कोई और रह रहा है। उसे बहुत आश्चर्य हुआ। जब उसने अंदर जाकर देखा, तो पाया कि एक मेंढक उसके घर में रह रहा है। चूहे ने विनम्रता से कहा, “यह घर मैंने खुद बनाया है और मैं कुछ दिनों के लिए बाहर गया था। अब मैं लौट आया हूँ, कृपया यह घर खाली कर दीजिए।”
लेकिन मेंढक को यह मंज़ूर नहीं था। वह बोला, “जब तुम यहाँ नहीं थे, तब मैं इस घर में रहने लगा। अब यह मेरा घर है, मैं इसे खाली नहीं करूँगा।” दोनों में बहस शुरू हो गई और मामला झगड़े तक पहुँच गया।
तभी वहाँ से एक चालाक बिल्ली गुजर रही थी। उसने झगड़े की आवाज़ सुनी और रुककर पूछा, “क्या बात है?” दोनों ने उसे अपनी-अपनी कहानी सुनाई। चालाक बिल्ली ने सोचा, ‘अब तो मुझे आज भोजन मिल ही जाएगा।’ उसने कहा, “मैं बहुत बूढ़ी हूँ और मुझे धीरे सुनाई देता है। तुम दोनों मेरे पास आकर धीरे-धीरे बताओ कि क्या हुआ।”
जैसे ही चूहा और मेंढक उसके पास गए, बिल्ली ने तुरंत झपट्टा मारा और दोनों को मारकर खा गई।
अजनबियों पर आँख मूंदकर भरोसा करना नुकसानदायक हो सकता है। किसी भी समस्या को आपस में मिल-बाँटकर हल करना ही बुद्धिमानी होती है।
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