एक गाँव में दो छोटे बच्चे रहते थे, जो आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे। एक की उम्र नौ साल थी और दूसरे की केवल छह साल। दोनों हर समय साथ रहते, साथ खेलते, और एक-दूसरे का हर सुख-दुख बाँटते थे। एक दिन खेलते-खेलते वे दोनों गाँव से काफी दूर एक जंगल की ओर निकल गए। वहाँ का शांत वातावरण और खुला मैदान उन्हें बहुत अच्छा लगा। बड़ा बच्चा पतंग उड़ाने में मग्न हो गया और छोटा बच्चा उसकी पतंग पकड़ने के पीछे भाग रहा था।
खेलते-खेलते अचानक एक हादसा हो गया। बड़ा बच्चा संतुलन खो बैठा और एक पुराने कुएँ में गिर गया। वह डर के मारे जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “बचाओ! बचाओ!” उसका छोटा दोस्त घबरा गया, लेकिन भागा नहीं। उसने चारों तरफ देखा, पर वहाँ दूर-दूर तक कोई नहीं था जो मदद कर सके। तभी उसकी नजर कुएं के पास पड़ी एक रस्सी और बाल्टी पर पड़ी। उसने बिना समय गंवाए बाल्टी को कुएं में डाला और अपने दोस्त से कहा, “इसको पकड़ लो, मैं तुम्हें निकालता हूँ!”
अब ये वही छह साल का बच्चा था, जो आम दिनों में एक बाल्टी पानी तक नहीं खींच सकता था। लेकिन उस दिन उसने पूरी ताक़त लगाकर रस्सी खींची और अपने दोस्त को कुएं से बाहर निकाल लिया। दोनों बच्चे गले लगकर रोने लगे—डर, राहत और खुशी के आँसू उनके चेहरे पर साफ दिख रहे थे।
जब वे गाँव लौटे और अपनी आपबीती लोगों को सुनाई, तो किसी को यकीन ही नहीं हुआ कि एक छोटा बच्चा ऐसा कर सकता है। तब गाँव के सबसे बुजुर्ग और समझदार व्यक्ति, रहीम चाचा, सामने आए। उन्होंने सबको समझाया, “जब ये बच्चा अपने दोस्त को बचा रहा था, उस वक्त कोई नहीं था जो इसे कहता कि ‘तू यह नहीं कर सकता।’ इसी कारण, इसने कर दिखाया। कभी-कभी हमारी सीमाएँ सिर्फ दूसरों की बातें होती हैं, जो हमें रोकती हैं।”
हौसला और आत्मविश्वास अगर मजबूत हो, तो कोई भी काम असंभव नहीं। हमें खुद पर भरोसा रखना चाहिए और कभी अपने को कम नहीं आंकना चाहिए।
संबंधित वीडियो:
कुछ और मज़ेदार कहानियों के लिए यहाँ क्लिक करें