रामसिंह नामक एक साधारण चरवाहा था, जिसके पास बहुत सारी भेड़ें थीं। वह अपनी भेड़ों के साथ जंगल में उन्हें चराने के लिए रोज़ जाता था। उसका जीवन भेड़ों से ही चलता था, और वह दिन-रात इन्हें जंगल की घास में चराता रहता था। जंगल में एक खतरनाक भेड़िया भी छिपा हुआ था, जो लंबे समय से चरवाहे की भेड़ों को देख रहा था। वह भेड़िया अपनी योजनाओं को पूरा करने के लिए मौका तलाश रहा था।
चरवाहा एक चौकस और सतर्क व्यक्ति था। वह हर दिन अपनी भेड़ों को जंगल में ले जाकर यह सुनिश्चित करता था कि किसी भी शिकार करने वाले जानवर से उसकी भेड़ों को कोई नुकसान न हो। हालांकि, एक दिन उसने सोचा कि इस जंगल में कोई भी ऐसा जानवर नहीं है जो उसकी भेड़ों को नुकसान पहुँचाए। इसलिए उसने खुद को थोड़ी लापरवाही में डाल लिया और भेड़ों के पास आराम करने के लिए खेत में लेट गया।
वहीं, भेड़िया जो कई दिनों से मौके का इंतजार कर रहा था, इस अवसर को हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। वह धीरे-धीरे झाड़ियों से बाहर निकला और भेड़ों के पास पहुंचकर एक-एक करके सभी भेड़ों को मार डाला। चरवाहा गहरी नींद में था और उसे इसका जरा भी अंदाजा नहीं था। जब वह नींद से जागा, तो उसने देखा कि उसकी सारी भेड़ें मरी पड़ी थीं। यह दृश्य देख कर चरवाहे को अपनी लापरवाही का बहुत पछतावा हुआ। उसने समझा कि उसकी निश्चिंतता ने उसे बहुत बड़ा नुकसान पहुँचाया।
चरवाहे ने अब यह शिक्षा ली कि किसी भी समय निश्चिंत होकर नहीं बैठना चाहिए। जीवन में हर स्थिति में हमें सतर्क और चौकस रहना चाहिए। अगर हम अपनी सुरक्षा और जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह हो जाते हैं, तो इसके नकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं।
हमें कभी भी अपनी सुरक्षा और जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह नहीं होना चाहिए। हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए, ताकि हम किसी भी अनहोनी से बच सकें।
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