यह कहानी एक लड़के रामू की है, जिसे उसके पापा ने ज़िंदगी का सबसे अनमोल पाठ सिखाया। एक दिन उसके पिता ने उसे एक मामूली सा दिखने वाला पत्थर दिया और कहा, “इसे बाजार में ले जाकर बैठो, और अगर कोई इसकी कीमत पूछे तो सिर्फ अपनी दो उँगलियाँ दिखा देना, कुछ कहना नहीं।” रामू को यह बात थोड़ी अजीब लगी लेकिन वह पिता की बात मान गया।
अगले दिन वह पत्थर लेकर बाजार गया। कुछ देर बाद एक बुज़ुर्ग महिला आई और उसने पत्थर की कीमत पूछी। रामू ने दो उँगलियाँ उठाईं। महिला बोली, “क्या 200 रुपये?” रामू चौंका लेकिन कुछ बोला नहीं और दौड़कर अपने पापा के पास पहुंचा।
पिता ने अगला निर्देश दिया – “अब इस पत्थर को लेकर संग्रहालय जाओ और वही करना।” रामू संग्रहालय गया और वहां एक व्यक्ति ने पत्थर में रुचि दिखाई। जब रामू ने फिर से दो उँगलियाँ दिखाई, तो वह व्यक्ति बोला, “2000 रुपये में दूंगा।” रामू हैरान रह गया और फिर से दौड़कर अपने पापा के पास गया।
अब पापा ने कहा – “अब इस पत्थर को एक सुनार के पास ले जाओ।” जब रामू पत्थर लेकर सुनार की दुकान पहुँचा तो सुनार ने उसे देखते ही पहचान लिया और बोला, “मैं इस पत्थर की तलाश वर्षों से कर रहा हूँ। दो उँगलियाँ दिखाई? दो लाख रुपये दूंगा!”
रामू पसीने-पसीने होकर घर लौटा और सारी बात बताई। उसके पापा मुस्कुराए और बोले, “बेटा, यही जीवन का सच है। तुम्हारी असली कीमत क्या है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि तुम खुद को कहाँ और किन लोगों के बीच रख रहे हो। कुछ जगह तुम्हें 200 रुपये का समझेंगे, कुछ 2000 का, और कुछ तुम्हें अनमोल समझेंगे।”
अपनी काबिलियत और मूल्य को समझो और खुद को सही स्थान पर रखो। दुनिया में तुम्हारी कीमत तुम्हारे आत्म-मूल्य और संगत पर निर्भर करती है।
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