बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक बूढ़ा शेर रहता था। वह जंगल का राजा तो था, लेकिन अब उम्र के कारण उसकी ताकत पहले जैसी नहीं रही थी। उसके दांत कमज़ोर हो गए थे, और पंजों में पहले जैसा बल नहीं रहा। शिकार करना उसके लिए लगभग असंभव हो गया था। इसलिए वह दिन भर अपनी गुफा के बाहर पड़े-पड़े आराम करता और कभी-कभार कुछ जानवरों द्वारा लाई गई बची-खुची चीज़ें खा लेता।
एक दिन जब वह सो रहा था, तो एक छोटा-सा मच्छर उसके पास आकर भिनभिनाने लगा। मच्छर ने शेर की नाक पर डंक मार दिया। शेर की नींद खुल गई और वह गुस्से में दहाड़ा। लेकिन मच्छर उसकी दहाड़ से डरा नहीं, बल्कि कानों के पास आकर और तेज़ आवाज़ में भिनभिनाने लगा। शेर ने अपने भारी पंजे से मच्छर को मारने की कोशिश की, लेकिन वह बार-बार चूक जाता।
मच्छर बार-बार डंक मारता और फिर उड़कर बच जाता। शेर अब थक चुका था और उसने हार मान ली। मच्छर ने खुद को विजयी महसूस किया। उसे लगा कि उसने जंगल के सबसे ताकतवर जानवर को हरा दिया है। घमंडी मच्छर खुशी से झूमता हुआ इधर-उधर उड़ने लगा और खुद पर घमंड करने लगा।
लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंज़ूर था। उड़ते-उड़ते घमंडी मच्छर एक पेड़ की डाल पर जमी मकड़ी के जाल में फँस गया। उसने छटपटाकर निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन उस महीन जाल से निकलना उसके लिए नामुमकिन था। कुछ ही देर में वह थक गया और वहीं जाल में फँसकर मर गया।
घमंड कभी नहीं करना चाहिए, चाहे सफलता कितनी भी बड़ी क्यों न लगे। छोटे से छोटे प्राणी का भी अंत हो सकता है अगर वह अपने अहंकार में अंधा हो जाए। सफलता पर संयम और विनम्रता ज़रूरी है।
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