एक समय की बात है, एक शरारती और घमंडी हाथी एक जंगल में रहता था। उसकी आदत थी कि वह बिना किसी कारण के बाकी जानवरों से लड़ाई करता और उन्हें परेशान करता था। उसकी इस हरकत से जंगल के सभी जानवर दुखी थे। एक दिन जब वह रास्ते में जा रहा था, उसने देखा कि कुछ बंदर जामुन के पेड़ से फल तोड़कर खा रहे थे। हाथी को यह देखकर गुस्सा आ गया और उसने पेड़ को उखाड़कर फेंक दिया, जिससे बंदर दुखी हो गए।
कुछ दूर जाने पर उसने देखा कि एक कबूतर अपने घोंसले को बना रहा था। फिर से शरारत के चलते हाथी ने कबूतर का घोंसला उखाड़कर फेंक दिया। कबूतर भी दुखी हुआ, लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था, क्योंकि वह बहुत ताकतवर था।
अगले दिन, हाथी ने देखा कि कुछ चींटियाँ अपने घर में खाना इकट्ठा कर रही थीं। उसने अपने सूंढ़ से पानी भरकर उनका घर डुबो दिया, जिससे उनका घर पूरी तरह से नष्ट हो गया। चींटियाँ हाथी से बहुत परेशान हो गईं और उन्होंने हाथी को सजा देने की योजना बनाई।
कुछ दिनों बाद, जब हाथी आराम से सो रहा था, तब चींटियाँ चुपचाप उसकी सूंढ़ में घुस गईं और उसे काटने लगीं। वह तड़पते हुए मर गया और जंगल के सभी जानवरों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
अत्याचार का अंत हमेशा बुरा होता है। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी को भी उसकी ताकत या आकार देखकर छोटा नहीं समझना चाहिए। छोटा से छोटा जीव भी बड़ा काम कर सकता है।
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