
बहादुरपुर नामक गाँव में अर्जुन नाम का एक नाई और वेदप्रकाश नाम का एक विद्वान पंडित रहा करते थे। गाँव ही नहीं, आसपास के पाँच गाँवों में भी न नाई था और न ही कोई विद्वान ब्राह्मण। कोई भी शुभ कार्य हो – शादी, यज्ञ, संस्कार या पर्व – लोग अर्जुन और वेदप्रकाश को ही बुलाते थे। इस कारण वे दोनों अक्सर साथ-साथ जाया करते थे और धीरे-धीरे उनमें गहरी मित्रता हो गई थी।
अर्जुन, स्वभाव से जिज्ञासु और बातूनी था। वह अक्सर पंडित वेदप्रकाश से जीवन, धर्म और ईश्वर से जुड़े सवाल करता रहता था। पंडित जी भी धैर्यपूर्वक उसके हर प्रश्न का उत्तर देते थे।
एक दिन, वे दोनों एक बड़े आयोजन से लौट रहे थे। रास्ता लंबा था, तो अर्जुन ने बात छेड़ी –
“पंडित जी, आप तो भगवान के इतने बड़े भक्त हैं। जरा मुझे बताइए कि भगवान सब देखता है, तो फिर इतने दुःख क्यों हैं? लोग बेरोज़गार हैं, भूख से मर रहे हैं, सूखा पड़ा है, खेती तबाह हो गई है, बच्चों को दूध नहीं मिल रहा है। भगवान आखिर कर क्या रहा है? क्या उसे कुछ दिखाई नहीं देता?”
पंडित जी चुप रहे। उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया और चुपचाप चलते रहे। अर्जुन को हैरानी हुई कि आज पंडित जी मौन क्यों हैं।
थोड़ी देर बाद वे एक छोटे से रास्ते से गुजर रहे थे जहाँ एक टूटी झोपड़ी के पास एक भिखारी बैठा हुआ था। उसके बाल और दाढ़ी बहुत बड़े और बिखरे हुए थे। वह बहुत गंदा लग रहा था और दुर्बल भी था। पंडित जी वहीं रुक गए और बोले,
“अर्जुन, देखो इस व्यक्ति को। इसके बालों की हालत देखो। तुम तो नाई हो। फिर इसका यह हाल क्यों है? तुम जैसे नाई का क्या फायदा जब लोग इस हाल में रहें?”
अर्जुन ने झट से उत्तर दिया, “पंडित जी, मैं तभी तो किसी के बाल काटता हूँ जब वह खुद मेरे पास आता है। मैं जबरदस्ती तो किसी का बाल नहीं काट सकता!”
पंडित जी मुस्कराए और बोले, “यही बात भगवान पर भी लागू होती है। जब तक कोई व्यक्ति स्वयं ईश्वर की ओर नहीं बढ़ेगा, उसे नहीं पुकारेगा, उसके पास जाकर उसकी शरण नहीं लेगा – तब तक भगवान भी उसकी सहायता नहीं करेगा। जिस तरह तुम तब तक सेवा नहीं कर सकते जब तक कोई खुद न आए, उसी तरह ईश्वर भी तब तक चुप रहता है जब तक इंसान उसे नहीं बुलाता।”
अर्जुन की आँखें खुल गईं। उसने धीरे से सिर झुकाया और कहा, “अब समझा, पंडित जी… दोष ईश्वर का नहीं, हमारी दूरी का है।”
ईश्वर हमारी सहायता तभी करता है जब हम स्वयं उसे याद करें, उसकी ओर कदम बढ़ाएं। केवल शिकायत करने से जीवन नहीं बदलता, प्रयास और विश्वास दोनों जरूरी हैं।
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