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September 7, 2025June 15, 2025

कर्म ही भाग्य है

कर्म ही भाग्य है

 

 

एक छोटे से गांव में विनय नाम का युवक रहता था। उसका जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। बचपन से ही वह तंगहाली, अभाव और दुखों में पला-बढ़ा था। विनय हर समय अपनी किस्मत को कोसता रहता था। वह हमेशा सोचता कि भगवान ने उसके साथ अन्याय किया है, क्योंकि उसे गरीब घर में पैदा किया।

वह हर बात के लिए दूसरों को दोष देता, कभी समाज को, कभी भगवान को, तो कभी अपने माता-पिता को। वह अपने जीवन में कुछ करने की सोचता ही नहीं था। उसका आत्मविश्वास खत्म हो चुका था, और उसका जीवन धीरे-धीरे और भी बदतर होता जा रहा था।

एक दिन विनय किसी काम से शहर के बाजार गया। वहां उसने एक कोने में भीड़ लगी देखी। उत्सुकता से पास गया तो देखा कि एक ज्योतिषी लोगों का हाथ देखकर उनके भाग्य की बातें बता रहा था। विनय को लगा कि चलो किस्मत की ही बात करनी है, यह मौका अच्छा है।

वह ज्योतिषी के पास गया और बोला, “पंडित जी, मेरी किस्मत बहुत खराब है। मैं गरीब पैदा हुआ, कुछ अच्छा नहीं होता मेरे साथ। भगवान ने मुझे ऐसा जीवन क्यों दिया?”

ज्योतिषी मुस्कराया और विनय से बोला, “बेटा, क्या जन्म तुम्हारे हाथ में था?”
विनय बोला, “नहीं।”
“क्या मृत्यु तुम्हारे हाथ में होगी?”
विनय बोला, “नहीं।”

ज्योतिषी गंभीर होकर बोला, “फिर जो जन्म और मृत्यु के बीच का समय है, वही तो तुम्हारे हाथ में है। तुम्हारा गरीब घर में जन्म लेना तुम्हारी गलती नहीं थी। लेकिन अगर तुम गरीब ही मरते हो, तो यह तुम्हारी सबसे बड़ी गलती होगी। किस्मत को कोसने से कुछ नहीं बदलता। बदलनी है तो सोच और मेहनत बदलो। भगवान भी उसकी मदद करता है जो खुद की मदद करता है।”

विनय को जैसे किसी ने झकझोर दिया हो। पहली बार उसने अपने जीवन की ज़िम्मेदारी खुद पर ली। उसी दिन से उसने ठान लिया कि वह अब केवल सपने नहीं देखेगा, बल्कि उन्हें साकार करने की मेहनत करेगा। उसने छोटे-मोटे कामों से शुरुआत की, पढ़ाई की, मेहनत की और धीरे-धीरे उसकी जिंदगी बदलने लगी।

 

नैतिक सीख:

परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, यदि हम खुद पर भरोसा रखें और सच्ची मेहनत करें, तो हम अपनी किस्मत खुद बदल सकते हैं।

 

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