
एक बार की बात है, जंगल का राजा शेर शिकार की तलाश में घूम रहा था। तभी उसे एक बारहसिंघा दिखाई दिया। शेर तुरंत उसका शिकार करने के लिए उसके पीछे दौड़ा। लेकिन, बारहसिंघा ने अपनी जान बचाने के लिए तेजी से झाड़ियों की तरफ भागना शुरू कर दिया। तभी शेर ने लंबी छलांग लगाकर उसके पिछले दोनों पैरों को अपने मजबूत जबड़ों में जकड़ लिया।
पर बारहसिंघा ने हार नहीं मानी। उसने अपनी लंबे-लंबे सींगों से शेर की दोनों आँखें फोड़ दीं। शेर दर्द से कराह उठा और बारहसिंघा मौके का फायदा उठा कर शेर की गिरफ्त से भाग निकला।
अगली सुबह अंधा हो चुका शेर, राजा शेर सिंह, बहुत क्रोधित था। उसने अपनी दरबारी लोमड़ी को बुलाया और उससे पूरेजंगल में ऐलान करवा दिया कि—
“आज से जंगल में कोई भी सींग वाला जानवर नहीं रहेगा। वे सब तुरंत जंगल छोड़ दें!”
शेर के डर से सभी सींग वाले जानवर – बारहसिंघा, सांभर, बकरी आदि – जंगल छोड़कर चले गए।
उसी सुबह एक खरगोश ने अपने आप को तालाब में देखा। परछाईं में उसके लंबे खड़े कान उसे सींग जैसे लगे।
वह घबरा गया। उसने सोचा, “अगर राजा शेर ने मेरे ‘सींग’ देख लिए तो वह मुझे भी सजा देगा!”
डर के मारे बिना कुछ सोचे-समझे वह जंगल छोड़कर भाग गया और दूसरे जंगल में जा पहुँचा। लेकिन वहाँ एक भेड़िया शिकार करने के लिए पहले से ही घात लगाए बैठा था। जैसे ही खरगोश वहाँ पहुँचा, भेड़िये ने उसे पकड़ लिया और उसे मार डाला।
डर और बिना सोचे निर्णय लेना, हमेशा नुकसानदायक होता है।
हर बात की सच्चाई समझना जरूरी है — केवल डर के कारण भागना बुद्धिमानी नहीं।
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