
एक छोटे से गाँव में एक गड़ेरिया अपनी भेड़ों के साथ नदी के किनारे हर रोज़ जाता था। वह दिनभर अपनी भेड़ों को चराता और शाम को उन्हें सुरक्षित वापस घर ले आता। एक दिन जब वह अपनी भेड़ों के साथ चराने के लिए नदी के पास गया, तो उसने देखा कि एक जंगली सूअर उसकी भेड़ों के पास घूम रहा था। यह सूअर भेड़ों के लिए खतरा बन सकता था। गड़ेरिया ने सोचा, “अगर मैं इस सूअर को पकड़ लेता हूँ, तो इसे बाजार में बेचकर अच्छे पैसे कमा सकता हूँ।”
गड़ेरिया ने तुरंत सूअर को पकड़ने की योजना बनाई। वह धीरे-धीरे, बिना आवाज किए, सूअर के पास पहुंचने की कोशिश करने लगा। लेकिन सूअर बहुत चौकस था और जैसे ही उसे गड़ेरिया की मंशा का एहसास हुआ, वह धीरे-धीरे जंगल की ओर भागने लगा। गड़ेरिया भी सूअर का पीछा करने लगा, सोचते हुए कि वह उसे पकड़ ही लेगा। सूअर घने जंगल में जा पहुंचा, जहाँ गड़ेरिया की पकड़ से बचने के लिए और भी रास्ते थे। जैसे ही गड़ेरिया ने उसे पकड़ने की कोशिश की, सूअर और तेजी से जंगल की ओर दौड़ गया।
इसी दौरान, गड़ेरिया की भेड़े अकेली रह गईं। एक भेड़िया जो जंगल में छुपा हुआ था, यह मौका पाकर गड़ेरिया की भेड़ों पर हमला कर देता है। भेड़िया एक-एक करके गड़ेरिया की कुछ भेड़ों को मार डालता है।
गड़ेरिया जब जंगल से वापस आता है, तो वह देखता है कि उसकी कुछ भेड़े मरी पड़ी हैं। यह देखकर उसे गहरा दुख हुआ और वह पछताने लगा। उसने अपनी जल्दबाजी में सूअर का पीछा किया, लेकिन इसका नतीजा यह हुआ कि उसकी भेड़े भी खतरे में आ गईं।
अब गड़ेरिया अपनी गलती पर पछताते हुए सोचता है, “अगर मैंने सूअर को छोड़ दिया होता और अपनी भेड़ों का ध्यान रखा होता, तो शायद ऐसा नहीं होता।” उसे अब समझ में आया कि जब हम किसी चीज़ को पाने के चक्कर में बहुत जल्दीबाजी करते हैं, तो कभी-कभी हमें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।
अब पछताए होत क्या, जब चिड़ीया चुग गई खेत।
अर्थात, जब बहुत देर हो जाए, तब पछताने का कोई फायदा नहीं होता।
कुछ और मज़ेदार कहानियों के लिए यहाँ क्लिक करें