
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल के पास एक कुत्ता और एक मुर्गा रहते थे। दोनों में गहरी दोस्ती थी। वे साथ खाते, साथ खेलते और एक-दूसरे का पूरा ध्यान रखते। एक दिन कुत्ते ने मुर्गे से कहा, “हम हमेशा एक ही जगह रहते हैं। क्यों न इस सुंदर दुनिया को देखने निकलें? चलो, कुछ नया देखें, कुछ नया जानें।”
बुद्धिमान मुर्गा यह बात सुनकर बहुत उत्साहित हुआ और उसने तुरंत हाँ कर दी। फिर क्या था, दोनों मित्र अपना छोटा-सा सामान लेकर दुनिया घूमने निकल पड़े। वे कई जगह गए, पेड़ों के झुरमुटों में से गुज़रे, नदियों को पार किया और तरह-तरह के जानवरों से मिले।
शाम होते-होते वे एक घने जंगल में पहुँच गए। अंधेरा हो गया था और उन्हें रुकने की जगह की तलाश थी। तभी उन्हें एक बड़ा-सा पेड़ दिखाई दिया, जो अंदर से खोखला था। कुत्ता बोला, “मैं तो इस पेड़ के अंदर सो जाता हूँ, तू ऊपर डाल पर बैठ जा, वहाँ तू सुरक्षित रहेगा।”
मुर्गा डाल पर बैठ गया और कुत्ता पेड़ के अंदर सो गया। अगली सुबह जैसे ही सूरज की पहली किरणें जंगल में पड़ीं, मुर्गा हमेशा की तरह जोर-जोर से बाँग देने लगा। उसकी बाँग जंगल के एक कोने में बैठी भूखी लोमड़ी के कानों में पड़ी। लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया और वह उस आवाज़ की दिशा में दौड़ पड़ी।
पेड़ के नीचे पहुँचकर लोमड़ी ने मुर्गे से कहा, “अरे श्रीमान मुर्गा! हमारे जंगल में आपका स्वागत है। आप जैसे सुरीली आवाज़ वाले अतिथि से मिलकर मन प्रसन्न हो गया। चलिए नीचे आइए, हम दोस्त बनते हैं और कुछ बातें करते हैं।”
मुर्गा उसकी मीठी-मीठी बातों को सुनकर समझ गया कि लोमड़ी का इरादा कुछ ठीक नहीं है। वह बोला, “बहन लोमड़ी, नीचे आने की जरूरत नहीं, पेड़ के भीतर एक रास्ता है जो सीधा यहाँ ऊपर तक आता है। आप उसी रास्ते से आइए, हम आराम से बैठकर बात करेंगे।”
लोमड़ी जैसे ही पेड़ के पीछे से घूमकर उस रास्ते पर पहुँची, कुत्ता पहले से सजग था। जैसे ही लोमड़ी अंदर आई, कुत्ते ने बिना समय गँवाए उस पर झपट्टा मारा और उसे सबक सिखा दिया।
जो दूसरों को धोखा देने की कोशिश करते हैं, अक्सर खुद ही धोखा खा जाते हैं।
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