
गहरे जंगल में एक विशाल और बलशाली शेर रहा करता था। वह जंगल का राजा था और सारे जानवर उससे डरते थे। एक दिन की बात है, वह शेर शिकार कर के अपने गुफा के पास आराम करने लेट गया। दोपहर की गर्मी और शिकार की थकान के कारण वह गहरी नींद में सो गया।
उसी समय, एक छोटा सा चूहा खेलता-खिलखिलाता हुआ वहां आ पहुंचा। खेलते-खेलते वह अनजाने में शेर के ऊपर चढ़ गया और उसकी पीठ पर इधर-उधर कूदने लगा। शेर की नींद अचानक टूट गई। उसने आँखें खोलीं और देखा कि एक छोटा सा चूहा उसकी पीठ पर उछल-कूद कर रहा है।
शेर गुस्से से दहाड़ा और अपने भारी पंजे से चूहे को दबोच लिया। चूहा डर के मारे कांपने लगा और गिड़गिड़ाते हुए बोला, “हे जंगल के महाराज! मुझ छोटे से प्राणी को माफ कर दीजिए। मुझसे अनजाने में यह गलती हो गई। कृपया मुझे जीवनदान दें। हो सकता है कि मैं भी भविष्य में किसी दिन आपकी मदद कर सकूं।”
शेर यह सुनकर जोर से हँसा और व्यंग्य में बोला, “तू मेरी मदद करेगा? तू तो इतना छोटा है कि मेरे पैर के नीचे दबकर खत्म हो सकता है।” लेकिन फिर भी शेर ने उसे छोड़ दिया और कहा, “जाओ, आज मैं तुम्हें माफ कर देता हूँ, लेकिन दोबारा मेरी नींद में खलल डाली तो सीधे भोजन बन जाओगे।”
दिन बीतते गए। कुछ ही समय बाद शेर एक बार जंगल में शिकार करते हुए शिकारी के जाल में फँस गया। वह जितना जाल से बाहर निकलने की कोशिश करता, उतना ही उलझता चला जाता। हारकर वह जोर-जोर से दहाड़ने लगा। उसकी आवाज जंगल में दूर तक गूंजी।
वहीं पास ही में वह चूहा अपने बिल में था। शेर की आवाज सुनकर उसने समझ लिया कि उसका मित्र संकट में है। वह बिना देर किए वहाँ पहुँचा और अपने पैने दांतों से जाल को काटने लगा। थोड़ी ही देर में शेर जाल से आज़ाद हो गया।
शेर ने आश्चर्य से चूहे को देखा और शर्मिंदा होते हुए कहा, “आज तूने साबित कर दिया कि सच्चा मित्र वही होता है जो मुश्किल वक्त में काम आए, चाहे वो जितना भी छोटा क्यों न हो।”
कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा नहीं होता। जीवन में हर किसी की अपनी उपयोगिता होती है और कठिन समय में मदद करने वाला सच्चा मित्र वही होता है।
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