
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थी। एक दिन वह भोजन की तलाश में जंगल में घूम रही थी कि अचानक वह एक घनी झाड़ी में फँस गई। उसने झाड़ी से निकलने के लिए बहुत प्रयास किया, जिससे उसके शरीर पर कई खरोंचें आ गईं। अंततः वह झाड़ी से निकलने में सफल हुई, लेकिन उसकी पूँछ झाड़ी में फँसकर कट गई।
अपनी पूँछ कट जाने से लोमड़ी बहुत दुखी हुई और सोचने लगी कि अब अन्य जानवर उसका मजाक उड़ाएंगे। उसने कई दिनों तक अपनी गुफा से बाहर निकलना बंद कर दिया। लेकिन फिर उसने एक योजना बनाई। उसने जंगल की सभी लोमड़ियों को एक दावत पर आमंत्रित किया।
दावत में सभी लोमड़ियों ने लोमड़ी से पूछा, “यह दावत किस खुशी में रखी गई है?” लोमड़ी ने उत्तर दिया, “कल मुझे एक शिकारी ने पकड़ लिया था, लेकिन उसने मुझे इस शर्त पर छोड़ दिया कि मैं अपनी पूँछ काट दूँ। इसलिए मैं आप सभी से कहती हूँ कि आप भी अपनी पूँछ काट लें, ताकि शिकारी आपको न पकड़े।”
बिना पूंछ की लोमड़ी की बात सुनकर सभी लोमड़ियाँ डर गईं और एक-एक करके अपनी पूँछ काटवा लीं। इस घटना को एक पेड़ पर बैठा बंदर देख रहा था। उसने जोर-जोर से हँसना शुरू कर दिया। लोमड़ियाँ उससे पूछने लगीं, “तुम क्यों हँस रहे हो?” बंदर ने उत्तर दिया, “मुझे तुम लोगों की मूर्खता पर हँसी आ रही है। चलो मेरे साथ, मैं तुम्हें कुछ दिखाता हूँ।”
बंदर सभी लोमड़ियों को उस झाड़ी के पास ले गया जहाँ लोमड़ी की पूँछ फँसी हुई थी। उसने बताया कि लोमड़ी ने झूठ बोलकर तुम सभी को मूर्ख बनाया है। यह सुनकर सभी लोमड़ियाँ गुस्से में आ गईं और उस चालाक लोमड़ी पर हमला कर दिया।
किसी की बातों पर आँख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए। कोई भी निर्णय लेने से पहले उसकी सच्चाई की जाँच अवश्य करनी चाहिए।
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