
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में शेर सिंह नाम का शेर राज किया करता था। वह शक्तिशाली, न्यायप्रिय और सभी जानवरों का रक्षक था। लेकिन एक दिन अचानक उसकी मृत्यु हो गई। जंगल में शोक की लहर फैल गई और सभी जानवर दुखी हो गए। अब समस्या यह थी कि जंगल के राजा के बिना व्यवस्था कैसे चलेगी? इसलिए जानवरों ने मिलकर एक नया राजा चुनने का निर्णय लिया।
जंगल के बीचों-बीच एक बड़ी सभा बुलाई गई। उसमें सभी पशु-पक्षी उपस्थित थे। सभा में अलग-अलग जानवरों ने अपने सुझाव रखे। तभी कुछ जानवरों ने बंदर को जंगल का राजा बनाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि बंदर बहुत फुर्तीला है, सभी को हँसाता है, नाचता है और हर कोई उसे पसंद करता है।
फिर क्या था, बंदर ने अपने करतब दिखाने शुरू किए। उसने अद्भुत नृत्य किए, तरह-तरह की कलाबाज़ियाँ दिखाईं और सबको खूब हँसाया। जानवर उसकी बातों और हरकतों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उसे तुरंत जंगल का राजा घोषित कर दिया। बंदर बहुत खुश हुआ, और खुद को बहुत महान समझने लगा।
लेकिन जंगल की एक चालाक लोमड़ी को यह निर्णय पसंद नहीं आया। वह जानती थी कि शासन चलाने के लिए केवल दिखावे और मज़ाक से काम नहीं चलता, उसमें समझदारी और जिम्मेदारी की भी ज़रूरत होती है।
कुछ ही दिनों बाद, एक शिकारी ने पेड़ पर एक जाल बिछाया और उसमें केले बाँध दिए ताकि किसी जानवर को फँसाया जा सके। लोमड़ी ने वह जाल देखा और उसे एक योजना सूझी। वह दौड़ती हुई बंदर के पास पहुँची और चापलूसी करते हुए बोली, “महाराज की जय हो! आपके राज में तो चमत्कार हो रहे हैं। मैंने आम के पेड़ पर केले लगे देखे हैं! यह तो आपके शासन का कमाल है!”
बंदर यह सुनकर खुश हो गया और गर्व से फूल उठा। वह बिना कुछ सोचे-समझे आम के पेड़ की ओर दौड़ा और जैसे ही उस पेड़ पर चढ़कर केले तोड़ने की कोशिश की, वह जाल में फँस गया। शिकारी ने चालाकी से उसे फँसा लिया था।
लोमड़ी यह देख बहुत खुश हुई और बंदर से बोली, “महाराज! आपने दिखावे के चक्कर में खुद को ही भूल गए। न राजा बनना आसान है और न ही राजा होना सिर्फ मनोरंजन करने से सिद्ध होता है। राजा वह होता है जो समझदारी, विवेक और ज़िम्मेदारी से जंगल का संचालन करे।”
सच्ची योग्यता दिखावे में नहीं, बल्कि समझदारी, कर्म और कर्तव्यनिष्ठा में होती है।
कुछ और मज़ेदार कहानियों के लिए यहाँ क्लिक करें