
एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक ईमानदार किसान रहता था। वह अपने खेत में मेहनत से गाजर उगाता और उन्हें बाजार में बेचकर अपना गुज़ारा करता था। उसकी ज़िंदगी शांत और सरल थी, लेकिन वह थोड़ा सरल स्वभाव का भी था — किसी की बातों में जल्दी आ जाता।
एक दिन खेत में एक फुर्तीला और बातूनी खरगोश आया। वह किसान से मीठी-मीठी बातें करने लगा और रोज़ आता-जाता रहा। धीरे-धीरे उसने किसान से मित्रता कर ली। किसान भी उसके भोलेपन से प्रभावित हो गया और कभी-कभी उसे गाजर भी खिलाने लगा।
कुछ दिनों बाद, उस चतुर खरगोश ने अपने जंगल के मित्रों से कहा, “मेरे पास एक ऐसा इंसान है जो बिना कुछ मांगे मुझे रोज गाजर देता है।” उसके साथियों ने हैरानी जताई और उस किसान से मिलने की इच्छा जताई। तब खरगोश ने एक योजना बनाई, “तुम सब झाड़ियों के पीछे छिपकर देखना, मैं कैसे उस किसान को मूर्ख बनाता हूँ।”
अगले दिन चतुर खरगोश फिर किसान के पास गया और कहा, “क्या आपको पता है, बगल के खेत वाला अब गाजर बेचने के बजाय गाजर का हलवा बनाकर बेचता है और उसकी कमाई दोगुनी हो गई है।” किसान ने आश्चर्य से पूछा, “लेकिन हलवा कैसे बनाते हैं?” खरगोश ने तुरंत जवाब दिया, “आप मुझे सारी गाजर दे दीजिए, मैं उन्हें जंगल ले जाकर हमारे राजा से कहकर हलवा बनवा दूंगा। कल आप आकर तैयार हलवा ले जाना।”
किसान भोलेपन में मान गया और अपनी सारी गाजर उसे दे दी। उस रात जंगल में खरगोश और उसके सारे साथी गाजरों की दावत उड़ाते हैं और खुशी से पार्टी मनाते हैं। अगले दिन जब किसान अपने हलवे के लिए पहुंचा, वहाँ न कोई गाजर थी, न कोई खरगोश।
अब किसान को सच्चाई समझ में आ गई। वह ठगा गया था। उसे अपनी भूल का एहसास हुआ कि उसने बिना सोचे-समझे एक अनजान जीव पर भरोसा किया और उसका नुकसान हो गया।
हर मीठी बात पर भरोसा न करें। अजनबियों पर आँख बंद करके विश्वास करना आपको धोखा भी दिला सकता है। समझदारी और सतर्कता ही सुरक्षा की कुंजी है।
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