
एक बार की बात है, एक हरी-भरी घाटी के पास एक नदी बहती थी। गर्मी के दिन थे और जंगल के सभी जानवर उस नदी के किनारे आकर अपनी प्यास बुझाया करते थे। एक दिन दोपहर के समय बहुत सारे जानवर नदी पर पानी पी रहे थे—हिरण, खरगोश, गधा और कई पक्षी भी। सब कुछ शांत और सामान्य था, तभी अचानक एक खूंखार भेड़िया नदी के किनारे आ पहुँचा।
भेड़िये को देखते ही सभी जानवर डर के मारे भाग खड़े हुए। कोई झाड़ियों की ओर भागा, तो कोई अपने बिल में घुस गया। लेकिन वहाँ एक गधा था, जो उस समय अपने में मग्न होकर पानी पीने में व्यस्त था। उसे भेड़िए के आने का पता ही नहीं चला। जब उसने पास आ रही भेड़िए की आहट सुनी, तब तक खूंखार भेड़िया उसके बिल्कुल नजदीक पहुँच चुका था।
गधा डर तो गया, पर उसने तुरंत अपने आप को सँभाला और एक योजना बनाई। जैसे ही भेड़िया उसके पास पहुँचा, गधा अचानक लंगड़ाने लगा। भेड़िया चौंका और बोला, “अरे गधे भाई, ये क्या हुआ? तुम लंगड़ा क्यों रहे हो?”
गधा बोला, “भेड़िया भाई, मेरे पैर में एक नुकीला काँटा चुभ गया है। अगर आप मुझे खाना चाहते हो तो कृपया पहले काँटा निकाल दो, वरना ये काँटा तुम्हारे गले में चुभ जाएगा और तुम्हें भी परेशानी होगी।”
भेड़िया गधे की बातों में आ गया। उसके मुँह में तो पहले से ही पानी भर रहा था। उसने सोचा कि पहले काँटा निकाल दूँ, फिर मज़े से गधा खाऊँगा। वह जैसे ही गधे का पैर पकड़कर उसे ध्यान से देखने लगा, गधे ने पूरी ताकत से एक ज़ोरदार लात उसके मुँह पर मार दी। भेड़िया दूर जा गिरा और उसके सिर में चक्कर आने लगे।
गधे ने मौके का फायदा उठाया और वहाँ से बिजली की रफ्तार से भाग गया। भेड़िया वहीं पड़ा-पड़ा सोचता रह गया कि इतनी आसानी से वह एक शिकार होते-होते बच गया।
संकट के समय बुद्धिमानी और शांत दिमाग से काम लेने वाला व्यक्ति बड़ी से बड़ी मुसीबत से भी निकल सकता है। साथ ही, किसी के मीठे शब्दों या कहने पर अपने लक्ष्य से ध्यान नहीं भटकाना चाहिए।
कुछ और मज़ेदार कहानियों के लिए यहाँ क्लिक करें